अब समझने की ज़रूरत यह है कि जनवादी क्रान्ति की मंज़िल हो, तो भी (जैसा कि लेनिन ने स्पष्ट किया है) भूमि विषयक आम नीति के तौर पर भूमिहीन ग्रामीण मज़दूरों को निजी परिवार के स्तर पर ज़मीन बाँटकर उन्हें छोटे पैमाने का माल-उत्पादक बनाना कम्युनिस्टों का उद्देश्य कदापि नहीं हो सकता।